वक्फ बोर्ड के पास 100 वर्षो में 18 लाख एकड़ भूमि थी,जो 12 सालो में 21 लाख एकड़ वृद्धि
भारत में ये जो वक्फ बोर्ड का इतिहास 12वीं सदी में दो गावों से शुरू हुआ था उस समय वक्फ बोर्ड की कुल जमीन 18 लाख एकड़ थी जबकि अब यह दोगुना से भी अधिक 39 लाख तक बढ़ गया है परन्तु यह बात सोचने वाली है की इतने वर्षो में वक्फ बोर्ड की जमीन दोगुना से भी अधिक कैसे हो गयी इस वक्फ अधिनियम के नियम को एकबार 1995 में ही संसोधन करने का प्रयास किया जा चूका था लेकिन उस समय नहीं हुआ इसमें ब्यापक नियमो का सुधर करने का प्रस्ताव रखा गया जिससे वक्फ बोर्ड की सम्पत्तियो का सही तरीके से और उन सभी से संबंधित झगड़ो को सही करने के लिए सर्कार इस भूमि को विस्तार करना चा रहा है
भारत के इस वक्फ बोर्ड के जमीन के लिए विधेयक 1995 ,की अधिनियम धारा 107 को बार -बार निरस्त करे का प्रयास करता , रहा जिनके कारण सिमा अधिनियम 1963 को वक्फ सम्पत्तियो पर दाखिल नहीं हो पाया और 1963 अधिनियम की सिमा पार होने पर सरकार फिर इसपर क़ानूनी कारवाही शुरू करने पर वैधानिक रोक लगता है फिर धरा 107 ने वक्फ बोर्डो के जमीनों को दुबारा पाने के लिए 12 सालो का एक भारी समय देता है
अमित शाह ने वक्फ बोर्ड भूमि पर प्रकाश डाला
अमित शाह ने कहा की ये जो लोग वक्फ बोर्ड को अपनी भूमि बता रहे है ये लोग उसे खुद बेचकर खाना चाहते है और कहा की कांग्रेस के ज़माने ठप्पा लगाया जाता था और बीजेपी के ज़माने में हमारी कमेटी पहले विचार चर्चा करती है फिर फैसला करती है।
भारत के कुछ विपक्षी नेताओ जैसे एआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने तर्क दिया की इस छूट को हम अगर स्वीकार कर लेंगे तो 12 वर्षो बाद ये लोग हमे दोषी ठहराकर कहेंगे की ें लोगो ने वक्फ बोर्ड मकई जमीन पर अवैध रूप से कब्ज़ा करा है।
वक्फ बोर्ड के नए विधेयक में नयाधिश के निर्णय को न मानकर ऐसे बरकरार रखे हुए पीड़ित पक्षों को नयाधिश का आदेश को प्राप्त करने के बाद 90 दिनों के अंदर सीधे संबधी उच्चन्यायालय में जाकर अर्जी कर सकते है। और उन्होंने कहा की पारदर्शिता से क्यों डरे ?क्योकि वक्फ बोर्ड हो या किसी भी आदेश को अदालत में ले जाया जा सकता है। सोचने पर मजबूर कर देने वाली बात यह है की पिछले 12 वर्षो में 21 लाख एकड़ भूमि आश्चर्यतरीके से बढ़ गयी है।


.jpg)